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Ramdhari Gupta Khand 1 Exercise 17 60WPM Hindi Shorthand Dictation

आपको रामधारी खण्ड 1 की प्रतिलेखन संख्या 17 का हिंदी मे 60 wpm की स्पीड मे hindi dictation बोला गया है। इसको आप 5 से 6 बार लिखें और कठिन शब्दो को अलग से लिख कर प्रैक्टिस करें।

Ramdhari Gupta Khand 1 Exercise 17 60 WPM Audio

 

Ramdhari Khand 1 Exercise 17 70 WPM Audio

 

Dictation लिखें – Khand 1 Exercise 16

pratilekhan sankhya 17

उच्च गति अभ्यास प्रतिलेखखन संख्या – 17

उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि अब तक इस वैदेशिक नीति पर न केवल इस ओर के सदस्यों ने ही बल्कि दूसरी ओर के सदस्यों ने भी, प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद दिया है। इसलिए मैं अपनी तरफ से धन्यवाद देकर उन का बोझ बढ़ाना नहीं चाहता ।

इसमें कोई संदेह नहीं कि इस सदन के सभी सदस्य चाहे वे किसी भी पार्टी से संबंध रखते हों, इस बात से पूरे सहमत हैं कि हमारी विदेश नीति ने संसार में हमार सिर ऊँचा उठा दिया है। हमने पंचशील के सिद्धांत को संसार के सामने रखा है। यदि हम उस के आधारभूत सिद्धांत पर दृष्टिपात करें तो हम को पता चलता है कि हमने संसार में एक जो सबसे बड़ा काम किया है वह यह है कि हमने तनाव को कम करने का प्रयत्न किया है।

जिस समय हमने नई-नई स्वतंत्रता प्राप्त की तो हमारे सामने बहुत-से प्रश्न थे। उनके साथ ही हमारे दो बड़े गुट थे जोकि एटम बम और दूसरे बम लिए हुए हमको चुनौती दे रहे थे कि अगर हमने उनमें से किसी एक गुट में सम्मिलित नहीं हुए तो हमको बड़ी कठिनाई होगी। उस समय भी, हमारे प्रधानमंत्री ने हमारे देश की वैदेशिक नीति को इसी स्तर पर रखा, जिसके कारण आज हम संसार में अपना सिर ऊँचा उठा सकते हैं। हमने जो संसार के सामने पंचशील के सिद्धांत को रखा उसका सबसे बड़ा फल यह हुआ कि एक सम्मेलन हुआ, जिसकी ओर मैं आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ । इस सम्मेलन में बड़े उत्साह के साथ संसार के 29 राष्ट्रों ने, जोकि एशिया और अफ्रीका से संबंध रखते थे, यह घोषणा की कि हम संसार में तनाव कम करना चाहते हैं और साथ ही हम यह चाहते हैं कि संसार में जो विभिन्न सामाजिक और आर्थिक नीतियाँ हैं वे साथ-साथ चल सकें। हमारी वैदेशिक नीति में जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है, वह है सह अस्तित्व की भावना । उसी भावना के फलस्वरूप हम देखते हैं कि आज कोरिया का युद्ध नहीं हुआ जो कि एक तीसरे विश्व युद्ध के रूप में परिवर्तित हो सकता है। हमारी इस नीति के कारण, हमारे अमरीकी मित्र हमसे कुछ अप्रसन्न भी हो गए। लेकिन यदि हम ऐसा न करते तो आज संसार को तीसरा युद्ध देखना पड़ता। मैं बहुत ज्यादा समय नहीं लूँगा, थोड़ा ही लूँगा । (376 शब्द)

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