Sajnani Exercise 2 80 WPM Hindi Shorthand Dictation
साजनानी मानक आशुलिपिक, ऋषि प्रणाली, नवीन प्रकाशन आदि सभी shorthand माध्यम के लिए काफी कारगर किताब है। इससे आपको Sajnani किताब के अभ्यास 2 का audio 80 शब्द प्रति मिनट की दर से दिया गया है। इस अभ्यास को आप 6 बार तो जरूर लगाएं, इससे ज्यादा लगाने से और शब्दों पर पकड़ बनेगी।
Sajnani Shorthand Dictation Exercise 2 80WPM Audio
अभ्यास – 2
उपाध्यक्ष जी, यदि आधुनिक काल में विधानमंडलों का महत्व कुछ कम हो गया है तो / उसका कारण यह है कि आधुनिक प्रशासन की समस्याएँ अत्यन्त जटिल हैं और ५)” विधानमंडल तथा // विधायक इतने साधन-सम्पन्न नहीं हैं कि विधान तथा नीति-निर्माण की समस्याओं पर गहराई /// से विचार कर सकें तथा प्रशासन की कारगर ढंग से निगरानी कर सकें । इसलिए यह “1” मांग सर्वथा उचित है कि सचिवालयों की सेवाओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था अनिवार्य रूप से / सरकार की ओर से होना चाहिए । एक विधायक या संसद सदस्य से यह आशा करना, कि // वह अपने वेतन में से एक समर्थ व्यक्ति या विधि-विशेषज्ञ का खर्चा वहन कर /// सके अव्यावहारिक है । विधान सभाओं
और संसद के सचिवालय पर सामूहिक रूप से प्रत्येक सदस्य “2” का अधिकार होना चाहिए, चाहे वह शासक वर्ग का हो या विरोधी दल का । / इस सिलसिले में आयोजित गोष्ठी में एक सदस्य ने यह भी सुझाव दिया है कि सदस्य // केवल विधेयकों की भूमिका दें और इस ढाँचे को भरने का पूरा उत्तरदायित्व सचिवालय ले । /// मगर सचिवालय पर इतना निर्भर रहना भी कालांतर में निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधिकारों को कम “3” करना होगा ।
दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न एक विधायक और विधानसभा के अध्यक्ष के सम्बन्धों का है । / इस दिशा में पिछले कई वर्षों में अनेक गलतफहमियां पैदा हो गयी हैं । यद्यपि अध्यक्ष प्रायः // शासक-वर्ग का ही एक सदस्य रहता है फिर भी अध्यक्ष चुने जाने के /// बाद सामान्यतः उसका उत्तरदायित्व अपने दल के प्रति समाप्त हो कर उस प्रतिनिधि सभा “4” के प्रति हो जाता है जिसका नियमन करने के लिए उसे निर्वाचित किया हो । / बदलते हुए राजनैतिक नक्शे के साथ-साथ यह जरूरी हो गया है कि विधानसभओं // और संसद में विभिन्न दलों की शक्ति में व्यापक परिवर्तन हो जाये । विरोधी-दल अब उतने /// कमज़ोर नहीं रहे हैं कि उनकी अवहेलना की जा सके । मगर साथ ही उन “5” की संख्या इतनी ज्यादा है और विचार धाराएँ इतनी भिन्न हैं कि उनके लिए संसद और अनेक विधानसभाओं के बीच कोई प्रभावशाली और रचनात्मक कदम उठाने की हिम्मत नहीं है । (330 शब्द)