Ramdhari Gupta Khand 1 Exercise 25 60WPM, 80WPM Hindi Shorthand Dictation
आपको रामधारी गुप्ता खण्ड 1 की प्रतिलेखन संख्या 25 का हिंदी मे 60 wpm, 80wpm की स्पीड मे hindi dictation बोला गया है। इसको आप 5 से 6 बार लिख कर प्रैक्टिस करें।
Ramdhari Gupta Khand 1 Exercise 25 60 WPM Audio
Ramdhari Khand 1 Exercise 25 70 WPM Audio
Ramdhari Khand 1 Exercise 25 80 WPM Audio
Dictation लिखें – Khand 1 Exercise 24
उच्च गति अभ्यास प्रतिलेखखन संख्या – 25
सभापति महोदय, अब मैं आर्थिक मामलों पर आना चाहता हूँ। मैं अधिक समय नहीं लूँगा। इस बात को सभी स्वीकार करेंगे कि तीव्र गति से हमारी आर्थिक प्रगति हो, इसका प्रबंध किया जाना चाहिए। इसके लिए ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिससे उत्पादन बढ़ सके, वितरण में समानता आ सके और उपभोग में संयम से काम लिया जा सके। हर बजट को और हर कर प्रस्ताव को इसी कसौटी पर कसा जाएगा, यथा क्या उससे उत्पादन बढ़ता है, क्या वितरण में समानता आती है और तीसरी बात यह कि क्या हम देश में ऐसा वातावरण बना सकते हैं कि लोग जितना कमाते हैं, उतना खर्च न करें, उसमें से बचाएँ और उसे राष्ट्र की समृद्धि में लगाएँ। अगर इस कसौटी पर सरकार की आर्थिक नीतियाँ कसी जाएँ तो मुझे लगता है कि उनमें पर्याप्त सुधार की गुंजाइश है ।
मैं वित्तमंत्री की कठिनाई को समझ सकता हूँ। विकास की आवश्यकता अधिक धन की माँग करती है। राज्य सरकारें अधिक कर लगाने के लिए तैयार नहीं हैं वे केंद्र से कर्जा लेकर अपना काम चलाना चाहती हैं, वहाँ कोई वित्तीय अनुशासन नहीं है। यह सारा बोझा केंद्र को उठाना पड़ेगा और केंद्रीय सरकार कठिनाई में पड़ेगी। इसलिए मैं समझता और सुझाव को दोहराना चाहता हूँ कि राज्यों को इस संबंध में निर्देश दिया जाना चाहिए। संविधान के अंतर्गत केंद्र इन राज्यों को निर्देश दे सकता है कि वह अपने साधनों के अंतर्गत अपने खर्च को चलाएँ, केंद्र के कर्ज पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में कर्जा दिया जा सकता है, लेकिन कर्जा लेकर अपना काम चलाना यह उनका स्वभाव नहीं बनना चाहिए। अपवाद रूप में कर्जा लेकर वह किसी विशेष परिस्थिति का सामना करने के लिए प्रस्तुत हों तो उसका विरोध नहीं किया जा सकता।
दूसरी बात यह है कि देश में सादगी और संपत्ति को उड़ाने के बजाय उसे उत्पादक कार्यों में लगाने का वातावरण बनाना चाहिए। मैं नहीं जानता वित्तमंत्री महोदय इससे कहाँ तक सहमत होंगे, लेकिन आज देश में समाजवाद की चर्चा बहुत होती है। लोगों का समाजवाद की और देखने का दृष्टिकोण विकृत हो गया है। लोग हमें क्या मिलता है इस ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। हम कितना खर्च करते हैं इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। समाजवाद बिना संपत्ति की अभिवृद्धि किए और बिना उसके समान वितरण के नहीं आ सकता। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। (383 शब्द)
