आशुलिपि (Shorthand) किसे कहते हैं? इतिहास, विकास, प्रणालियां एवं आधुनिक अनुप्रयोग

आशुलिपि लेखन की एक कला है। जिसमे सामान्य वक्तव्य को तुरंत और तीव्र गति से लिखे जाने वाली कला है। आशुलिपि को अंग्रेजी मे Shorthand या Stenography भी कहते है तथा हिंदी मे इसे “त्वरालेखन” या “शीघ्रलेखन” भी कहते है। इसमे शब्दों तथा वाक्यों के छोटे प्रतिकों का प्रयोग करके अधिक तीव्र गति है 80wpm, 100wpm, 120wpm आदि गति पर हिंदी तथा अंग्रेजी की वाक्यों को लिखा जाता है।

आशुलिपि (Shorthand) का मुख्य आशय यह है कि सामान्य तौर पर होने वाले वक्तव्य व भाषण आदि को तुरंत लिख कर सहेजा होता है। सामान्य व्यक्ति किसी भी वाक्य को 20 शब्द प्रतिमिनट की गति से लिख सकता है परंतु एक आशुलिपि (Stenographer) उसी वाक्य को 80, 100, 120, 150, 160 शब्द प्रति मिनट मे लिख सकता है। इसकी आधार पर एक अच्छे स्टेनोग्राफर का चयन होता है।

नेताओं, अधिकारियों व न्यायाधीश आदि के द्वारा बोले गए भाषण, कार्य व न्यायायीक आदेश आदि को लिपि बद्ध करने हेतु ही एक कुशल और तीव्र गति से लेखन करे वाले आशुलिपिक (Stenographer) की जरूरत पड़ती है।

आशुलिपि का परिचय

आशुुलिपि लेखन की बहुत सी पद्धतियाँ हैं, जिसमे हिंदी आशुलिपि मे नवीन प्रणाली, विशिष्ट प्रणाली, ऋृषि प्रणाली, मानक प्रणाली, सिंह प्रणाली, जैन प्रणाली आदि है। इसी के साथ English Stenography मे भी कई पद्धतियाँ है जिनमे Pitman, Teeline एवं Gregg प्रमुख है।

इस विद्या मे व्यक्ति इनमे से भाषा के आधार पर कोई भी प्रणाली सीख कर उसमे महारत हासिल करता है। वह उसके नियम व शब्दों को Shorthand रूप मे याद करता है। इस तरह से किसी के बोलने के गति के साथ-साथ ही वह लिख सकता है। जो सामान्य व्यक्ति के लिए कठिन होता है लिखना।

english shorthand image

स्टेनोग्राफ़ी का प्रयोग उस काम मे ज्यादा होता था जब कोई भी रिकार्डिंग मशीन थी। Personal Secretary और Journalist आदि आशुलिपि का प्रयोग बहुत करते थें और अभी के समय मे सरकारी नौकरीयों मे भी इसका प्रयोग हो रहा है।

स्टेनोग्राफ़ी मे भविष्य व आधुनिक अनुप्रयोग

आशुलिपि (Shorthand) युवाओं के लिए एक अच्छा कॅरियर ऑप्शन है। इसको 12वीं कक्षा या 10वीं कक्षा के बाद किसी भी प्राइवेट व सरकारी संस्थान से सिखा जा सकता है।

Shorthand में भविष्य की बात करें तो इसमें आपको नौकरी के ढेरों अवसर मिलते हैं, खासकर सरकारी नौकरी के अवसर। छात्र इस विधि को सीखकर अपनी गति बढ़ाकर सरकारी नौकरी विभागों में फॉर्म भरते हैं। ये विभाग सरकारी कार्यालय, रेल मंत्रालय और अन्य हो सकते हैं। मंत्रालय आदि यदि आप एक कुशल आशुलिपिक बन गए हैं तो आपकी गति 80 शब्द प्रति मिनट से 120 शब्द प्रति मिनट के बीच होनी चाहिए ताकि आपको किसी भी परीक्षा को पास करने में आसानी हो। यह एक बहुत ही कठिन भाषा है जिसे सीखने के लिए आपको किसी कोचिंग संस्थान में जाना होगा। या फिर आप आईटीआई जैसे सरकारी संस्थानों से ऑफिस कोर्स भी सीख सकते हैं और भविष्य में नौकरी पाने के लिए एक कुशल छात्र बन सकते हैं।

आशुलिपि का इतिहास

जब दुनिया में कुछ भी टेक्नोलॉजी नहीं थी और लोगों को समस्या होती थी कुछ भी लिखने में तो आशुलिपि का सहारा लिया गया इसका विकास तो बहुत शुरू से हो गया था पर सुव्यवस्ती ढंग से यह नहीं हो रहा था।

आशुलिपि Shorthand Stenography

कुछ समय बाद “सर आइजक पिटमैन” ने अपनी पुस्तक ‘स्टेनोग्राफिक साउंड हैंड’ (Stenographic Sound hand) को प्रकाशित किया वह भी 1837 में जिसमें इन्होंने स्वर एवं व्यंजन को अलग-अलग चिन्हों से प्रदर्शित किया और उन्हीं के मेल से वाक्य का बनना शुरू हुआ। इसमें कई नियम दिए गए हैं इन नियमों के प्रयोग से लेखन गाती बढ़ती है। एक व्यक्ति 60 शब्द प्रति मिनट से लेकर 160 शब्द प्रति मिनट की स्पीड पर लिख सकता है।

समय के साथ इस पद्धति का विकास और होता रहा और ऐसा विकास हुआ कि आज के समय में हर कोई इसी पद्धति का प्रयोग करके अपनी शॉर्टहैंड की गति को बढ़ाता है। तो हम इस तरह कह सकते हैं कि shorthand की शुरुआत पिटमैन ने किया था इसी कारण सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली प्रणाली, पिटमैन्स प्रणाली ही है।

pitman consonants

काशी नगर प्रचारिणी सभा ने श्री निष्कामेश्वर मिश्र जी ने 1960 ईस्वी में हिंदी आशुलिपि नामक एक पुस्तक प्रकाशित की जो की हिंदी अश्लिल्पी में एक सर्वप्रथम पुस्तक थी। जिसका प्रयोग करके कई लोगों ने अपनी आशुलिपि के ज्ञान को बढ़ाया और तेज गति से वाक्य को लिखना शुरू कर दिया। यह किताब इतनी कारगर हुई कि लोग 5 से 6 महीने में 100 शब्द पर मिनट तक की गति प्राप्त करने लगें।

इसके पश्चात इलाहाबाद के श्री ऋषिलाल अग्रवाल जी ने ऋषि प्रणाली का आविष्कार किया और उन्होंने आशुलिपि के युग में एक भूचाल ला दिया, खासकर हिंदी अश्लिल्पी में। यह किताब इतनी ज्यादा प्रचलित हुई कि आज के समय में अधिकतर छात्र ऋषि प्रणाली से ही शॉर्टहैंड सीखते हैं और अपनी गति को बढ़ाते हैं।

rishi pranali

इस प्रणाली को सीखने से छात्र 60 शब्द प्रति मिनट से लेकर 140 शब्द या उससे भी अधिक स्पीड पर वाक्य को आशुलिपि में लिख सकते हैं। इस किताब में लेखक ने सरल रेखा एवं वक्र रेखाओं का प्रयोग किया है जिनके मेल से शब्द एवं वाक्य बनते हैं बाकी इसमें और भी नियम दिए गए हैं। जिनको पढ़ने से छात्र बड़े-बड़े शब्दों और वाक्य को क्षण भर में थोड़ी ही जगह में बना सकते हैं और उसकी याद कर सकते हैं।

आशुलिपि की प्रमुख प्रणालियां

हिंदी एवं अंग्रेजी की बात करें तो इन दोनों ही भाषाओं में कई प्रणालियों प्रयोग मे लाई जाती हैं। कुछ प्रणालियों ऐसी हैं जो कि शुरू से लेकर अभी तक काफी ज्यादा प्रचलित है। सबसे ज्यादा उन्हीं का प्रयोग किया जाता है आशुलिपि सीखने में।

अंग्रेजी आशुलिपि की प्रमुख प्रणालियां

  • Pitman Shorthand
  • Gregg Shorthand
  • Teeline Shorthand

हिंदी अश्लील लिपि की प्रमुख प्रणालियां

  • ऋषि प्रणाली
  • मानक प्रणाली
  • नवीन प्रकाशन
  • आधुनिक प्रणाली
  • सिंह प्रणाली

अंततः हम यह कह सकते हैं कि शॉर्टहैंड आज के समय में लेखन को तेजी से लिखने में कारगर भाषा है। अगर कोई नेता या फिर कोई अधिकारी तेजी से कुछ बोल रहा है और उसे इसी समय की लिखना हो तो आशुलिपि ही सबसे अच्छा माध्यम है।

क्योंकि लिखित में सारा डाटा रखना बहुत ही जरूरी होता है भले ही दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ गयी हो। आज हमारे पास चीजों को रिकॉर्ड करने के लिए टेप रिकॉर्डर, वीडियो रिकॉर्डर है पर लिखित में रखना एक पुरानी परंपरा रही है और उसको संजोए रखना हमारी जिम्मेदारी है।

लिखित में रखने से यह भी फायदा है कि किसी ने क्या बोला है उसमें कुछ बदलाव नहीं हो सकता। इसी नाते मेरी आपसे आशा है कि आप सभी आशुलिपि सीखें और अपने मनचाहा नौकरी प्राप्त करें। 

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