Sajnani Dictation Shorthand Book PDF Download

साजनानी Hindi Stenographer के लिए एक बहुत ही कारगर किताब है। खास कर उन छात्रों के लिए जिन्होंने आशुलिपि (Shorthand) सीख लिया है। इसको सिखने के बाद छात्र को रोजाना नए-नए डिक्टेशन को सुन कर लिखना चाहिए तथा शब्दों का संग्रह करना चाहिए।

Sajnani Dictation Shorthand Hindi Book

Sajnani Hindi Dictation Shorthand Book एक ऐसी किताब है, जिसमे 60 शब्द प्रति मिनट से ले कर 120 शब्द प्रति मिनट तक की speed मे मैटर दिया गया है। जिसमे प्रत्येक मैटर के साथ shorthand outline भी दिया गया है। इससे छात्रों को शब्द याद करने मे और बनाने मे आसानी होती है।

Sajnani Dictation Shorthand Book PDF

साजनानी आशुलिपि मे दिए गए सभी अभ्यास काफी अच्छे हैं और उनको बहुत ही अच्छे से व्यवस्थित किया गया है। आशुलिपि मे जितना ज्यादा आप अभ्यास करेंगे उतनी ही अच्छी आपकी लेखन गति होगी और परिक्षा को आप आसानी से पास कर सकते हैं।

वैसे तो छात्र कई प्रकार की किताबों का प्रयोग करते हैं जिसमें रामधारी की किताबें भी आशुलिपि में बहुत प्रयोग की जाती है। पर अगर आपने इन किताबों को पूर कर लिया है तो आप इसको एक बार जरूर लिखें आपको नए-नए शब्द मिलेंगे और गति भी बढ़ेगी।

नमूना साजनानी अभ्यास-1

उपाध्यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि इस विधेयक पर आजकल जो बहस हुई / है, उसमें हमने पूरा-पूरा विरोध किया है और इस सम्बन्ध में अपने तर्क // पेश किये हैं । सरकार ने हमारे किसी भी सुझाव को स्वीकार करने से झ्कार कर //// दिया है । जहाँ तक इस कानून को अमल में लाने का सम्बन्ध है, केन्द्रीय सरकार “1” पूरे तौर पर राज्य सरकारों पर निर्भर है । मंत्री महोदय ने कहा है कि कई / सूबों ने इस बारे में सहयोग देने का आश्वासन दिया है । लेकिन में जानता हूँ // कि कई सूबों ने इस कानून का बहुत सख्त विरोध म भी किया है। उनका कहना /// है कि केन्द्रीय सरकार को किसी भी तरह सहकारी क्षेत्र की संस्थाओं के सम्बन्ध में “2” अपने अधिकार को प्रयोग करने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।

इस सुझाव को पेश करने में मेरा खास मकसद यह है कि अगर / सरकार ने इस विधेयक को अमल में // लाना ही है, तो फिर यह विधेयक सारे देश में एक – साथ अमल में आये /// और यह तमाम सहकारी बैंकों या सहकारी संस्थाओं पर एक-साथ लागू वरना, जिस “3” सूबे की सरकार यह मान लेती है कि इस विधेयक को वहाँ पर अमल में / लाया जाय वहाँ की सहकारी बैंकों को प्रीमीयम देना पड़ेगा । इसका परिणाम यह होगा कि // यह नया बोझ उस सूबे के बैंकों पर नहीं पड़ेगा, जिसकी सरकार इस विधेयक को /// मानने से इन्कार करती है ।

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